शनिवार, 22 नवंबर 2014

तुम वो कविता हो

तुम वो कविता हो
जिसे मैं कहना ही नहीं चाहता
क्यूंकि नहीं चाहता मैं
कि तुम्हें पढ़ा जाये
नहीं, तुम पढ़ने के लिये नहीं
महसूस करने के लिये हो
तुम वो कविता हो जो
कभी लिखी नहीं जायेगी
और न ही कभी पढ़ी जायेगी
वो कविता जो जियेगी मेरे साथ
और साथ में ही चली जायेगी

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