सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

स्वागत स्वस्थ मनोरंजन का

मुझे टीवी सीरियल्स से चिढ़ है|
कारण- हद दर्जे की बनावट और नाटकीयता| घर का हर सदस्य एक दुसरे को मारने के षड्यंत्रों में लगा है, एक डायलोग के बाद पाँच लोगों के चेहरे पाँच बार दिखाए जायेंगे और बैकग्राउंड में इरिटेटिंग म्यूजिक, गरीबी की वजह से भूखों मरने की नौबत आने वाली है पर लाइफस्टाइल करोड़पति का और गहने और साड़ियाँ कहीं से भी गरीबी की गवाही नहीं देते
पर एक दिन गलती से एक सीरियल पर पाँच मिनट रुक गया और वाह, मजा आ गया| एक नया चैनल आया है 'जिंदगी'| पाकिस्तानी चैनल है शायद| सीरियल का नाम था "मौसम", पूरा एपिसोड देख गया| गूगल और यूट्यूब पर पहुंचा तो समझ में आया कि ये टीवी सीरियल्स का ही चैनल है और इसके सारे सीरियल बड़े ही सामान्य और प्यारे हैं| उनको जबरदस्ती खींचने के बजाय ४० - ५० एपिसोड में कहानी समाप्त करके नया सीरियल शुरू करते हैं|
दूरदर्शन के सुनहरे दौर की यादें ताजा हो गयीं| सीधी सपाट कहानी, जबरदस्ती का ड्रामा नहीं, हमारे समाज के बीच से लिये गये सामान्य किरदार, उनके रूमानी संवाद, बिना तड़क भड़क के घर और कपड़े| बिलकुल आम से लोगों की आम सी कहानी जिससे अपने आस पास को कनेक्ट किया जा सके|
शायद ये चैनल सास बहू और फ़ालतू के नौटंकी सीरियल्स के दौर से छुट्टी दिलाते हुये स्वस्थ मनोरंजन का एक नया दौर शुरू करे|
आमीन

कोई टिप्पणी नहीं: