शनिवार, 6 जून 2015

हे देवराज इंद्र, आपकी अप्सरायें कहाँ हैं

कुछ लोग परफ्यूम / डियो के इतने दीवाने होते हैं कि लगता है एक ही बार में आधी बोतल उड़ेल ली है। शायद डियो लगाते ही लड़कियों द्वारा घेर लिये जाने और पीछा करने वाले विज्ञापनों का सबसे ज्यादा असर इन्ही पर होता है।

ऐसे जीवों से अक्सर पाला पड़ता है। आज ही लोकल में एक डियोप्रेमी मिल गये। हमउम्र थे और जमकर जियो का प्रयोग किया था। इतना अधिक कि खुशबु के बजाय वो बदबू में बदल गया था। लोकल ट्रेन्स में आपको मूवमेन्ट के ज्यादा विकल्प नहीं होते। जैसे हैं वैसे पड़े रहिये। भाई, सर घूम गया। आसपास के लोग भी मुँह फेर कर ऐसे बैठे थे जैसे खाप पंचायत ने उसको विरादरी से बाहर कर दिया हो।
एक तो पहले से ही हार्ड डियो, दूसरे उसकी हार्ड डोज ..
हे देवराज इंद्र, आपकी अप्सरायें कहाँ हैं .....

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