शनिवार, 20 जून 2015

पूछो न कुछ परिचय, मित्र !

पूछो न कुछ परिचय, मित्र !
समझो इतना आशय, मित्र !
बस मिलो सदा ऐसे हँसकर,
अब रहो सदा उर में बसकर,
हर क्षण हो जीवन का सुखकर,
कर लो इतना निश्चय, मित्र !
चहुं ओर जब पुष्प खिलेंगे,
जब अवरोधों के मूल हिलेंगे,
जीवन पथ पर पुनः मिलेंगे,
करिये ना कुछ संशय, मित्र !

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